CCSU B.ED Second Year Notes Creating an Inclusive School Important Questions | E-301
प्रश्न 1- शिक्षा शब्द की उत्पत्ति किन शब्दों से मिलकर हुई है? इनका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उतर- शिक्षा शब्द संस्कृत की शिक्ष)धातु से बना है। शिक्षा का अर्थ है-विद्या प्राप्त करना। शिक्षा का अंग्रेजी रूपान्तरण है-Education) एजुकेशन शब्द लैटिन (Latin) भाषा के तीन शब्दों से मिलकर बना है-Education, Educere, Educase। इन शब्दों का अर्थ विकसित करना, शिक्षित करना, आगे बढ़ना, आगे ले जाना आदि है।
प्रश्न 2- शिक्षा से क्या आशय है?
उत्तर- शिक्षा एक जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। मनुष्य जीवन पर्यन्त कुछ-न-कुछ सीखता रहता है। जीवन के प्रत्येक अनुभव से शिक्षा में वृद्धि होती है।शिक्षा के द्वारा बुद्धि एवं चरित्र का विकास होता है। वास्तव में, शिक्षा के द्वारा ही कोई भी व्यक्ति अपने बल पर खड़ा हो सकता है।
प्रश्न 3- समावेशन का अर्थ बताइए।
उत्तर- समावेशन वह प्रक्रिया है जो प्रतिभाशाली वह प्रक्रिया प्रत्येक दशा में सामान्य शिक्षा-कक्ष में उनकी शिक्षा के लिये लाती है, समन्वित-पृथक्करण के विपरीत है। पृथ्वी की वह प्रक्रिया है जिसमें समाज का विशिष्ट समूह अलग से पहिचाना जाता है।
प्रश्न 4-समावेशी शिक्षा का अर्थ बताइए।
उत्तर-समावेशी अथवा समन्वित शिक्षा वह शिक्षा है जिसमें सामान्य विद्यालय में अधिगम असमर्थी अथवा अधिगम बाधित व सामान्य बालकों को एक साथ शिक्षा प्रदान ही जाती है।
प्रश्न 5-समावेशी शिक्षा की प्रकृति बताइए।
उत्तर-(1) समावेशी शिक्षा सामान्य विद्यालयों में सामान्य बालकों के साथ प्रदान की जाती है।
(2) इस शिक्षा में असमर्थ बालकों की विशेष आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाता है।
प्रश्न 6-समावेशी शिक्षा के कोई दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर-(1) बालकों में आत्म-निर्भरता की भावना को विकसित करना।
(2) असमर्थ बालकों को जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के योग्य बनाना।
प्रश्न 7-समावेशी शिक्षा के मुख्यधारा के घटक बताइए।
उत्तर-समावेशी शिक्षा के मुख्यधारा के घटक निम्नलिखित हैं
(1) शिक्षा में एकीकरण (Integration in Education)
(2) शैक्षिक नियोजन तथा कार्यक्रम (Educational Planning Programming)
(3) उत्तरदायित्वों का स्पष्टीकरण (Clarification of Responsibilities)
प्रश्न- 8 समावेशी शिक्षा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- समावेशी शिक्षा से तात्पर्य विविध क्षमताओं वाले बालकों को एक साथ सामान्य शिक्षा प्रदान कर शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना है। इस प्रकार समावेशी शिक्षा अपंग व विभिन्न आवश्यकताओं वाले बालकों की शिक्षा सामान्य विद्यालय तथा सामान्य बालकों के साथ कुछ अधिक सहायता प्रदान करके शिक्षा प्रदान करने की ओर इंगित करती है। यह शारीरिक तथा मानसिक रूप से बाधित बालकों को सामान्य बालकों के साथ सामान्य कक्षा में कुछ विशेष सेवाएँ देकर ऐसे शिक्षा प्रदान करने की एक विशेष प्रक्रिया है।
समावेशी शिक्षा के कई अर्थ होते हैं जो निम्नवत् हैं
1. समर्थ तथा असमर्थ बच्चों में स्वस्थ दोस्ती का रिश्ता बनाने हेतु प्रोत्साहन देना।
2. इस बात की प्रेरण देना कि असमर्थ बच्चे भी इसी समाज के अंग हैं तथा उनको शिक्षित करना आपका भी उत्तरदायित्व है।
3. प्रत्येक बच्चे को इस प्रकार की शिक्षा देना कि प्रत्येक बच्चा एक-दूसरे से भिन्न होता है तथा सभी की आवश्यकताएँ अलग-अलग होती हैं।
4. जहाँ तक संभव हो असमर्थ बच्चों को सामान्य कक्षा में ही शिक्षा देनी चाहिए।
5. प्रत्येक बच्चे पर व्यक्तिगत ध्यान देना, ताकि वह अपने आपको हीन न समझे।
6. माता-पिता एवं अभिभावकों की समय-समय पर सलाह लेनी चाहिए और उस पर उचित ध्यान देना चाहिए।
7. असमर्थ बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ-साथ विशेष सेवाएँ देनी चाहिए।
8. स्थायी अध्यापकों व प्रशासकों को आवश्यकतानुसार सहयोग देना चाहिए।
9. एक समान समय-सारणी लागू करना।
10. असमर्थ बच्चों को भी विद्यालय की अन्य गतिविधियों; जैसे–म्यूजिक, कला, भ्रमण तथा व्यायाम आदि में सम्मिलित करने का प्रयास करना।
11. असमर्थ बच्चों के लिए भी ऐसे प्रबंध करना कि वह भी लायब्रेरी, खेल के समान तथा खेल के मैदान आदि का सामान रूप से प्रयोग कर सके।
समावेशी शिक्षा की प्रकृति को निम्न पंक्तियों में स्पष्ट किया गया है
1. जो सुविधा सामान्य बच्चों को मिलती हैं वही सुविधा असमर्थ बच्चों को भी मिलती हैं।
2.समावेशी शिक्षा सामान्य विद्यालयों में सामान्य बच्चों के साथ प्रदान की जाती है।
3. इस शिक्षा के द्वारा असमर्थों को शिक्षा प्राप्त करने का विस्तृत क्षेत्र प्राप्त होता है।
4. समावेशी शिक्षा में दोनों प्रकार के बच्चे सम्मिलित होते हैं अर्थात् असमर्थ और सामान्य बच्चे साथ-साथ पढ़ते हैं।
5. सामान्य एवं असमर्थ बच्चों द्वारा एक-दूसरे को समझने से आपसी सूझ-बूझ का विकास होता है तथा सामान्य बच्चे असमर्थ बच्चों की मदद करते हैं।
6. इस शिक्षा में असमर्थ बच्चों की विशेष आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाता है।
7. शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग बच्चों को कुछ वि…
समावेशी शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों को निम्नलिखित पंक्तियों में स्पष्ट किया गया
1. समाज में असमर्थ बच्चों में फैली भ्रांतियों को दूर करना।
2. असमर्थ बच्चों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने योग्य बनाना।
3. असमर्थ बच्चों को आत्म-निर्भर बनाकर उनके पुनर्वास का प्रबन्ध करना।
4. बच्चों की असमर्थताओं का पता लगाकर उनको दूर करने का प्रयास करना।
5. बच्चों में आत्मनिर्भरता की भावना का विकास करना।
6. असमर्थों को शिक्षित करके देश की मुख्यधारा से जोड़ना।
7. असमर्थ बच्चों को सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से समाज से जोड़ना।
8. जागरूकता की भावना का विकास करना।
9. प्रजातान्त्रिक मूल्यों के उद्देश्यों को प्राप्त करना।
1. अस्थि बाधित बालक।
2. श्रवण बाधित बालक।
3. दृष्टि बाधित अथवा एक आँख वाले बालक।
4.मानसिक मन्दित बालक जो शिक्षा के योग्य हो।
5. विभिन्न प्रकार से अपंग बालक (श्रवण बाधित, दृष्टि बाधित, अस्थि अपंग आदि) इन्हें बहुबाधित भी कहते हैं।
6. अधिगम असमर्थी बालक।
7. अन्धे छात्र जिन्होंने 'ब्रेल' में पढ़ाने और लिखने का शिक्षण प्राप्त कर लिया है तथा उन्हें विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता है। 8. बधिर बालक जिन्होंने ने सम्प्रेषण में निपुणता तथा पढ़ना सीख लिया है। माता-पिता को समझाना, प्रारम्भिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा + 2 स्तर और व्यावसायिक शिक्षा भी सम्मिलित है।
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शब्द एकीकरण का अर्थ है
(1) सामान्य विद्यालय में विशिष्ट सेवायें उपलब्ध कराना।
(2) शिक्षाविदों तथ शिक्षण संस्था के प्रशासकों को सहयोग देना।
(3) अपंग तथा सामान्य बालकों का एक समान दैनिक कार्यक्रम का अनुसरण करना।
(4) बाधित छात्रों का शैक्षणिक कक्षाओं तथा अन्य सम्भव कार्यक्रमों में सम्मलित किया जाना जैसे-संगीत, कला, दूरगाती भ्रमण,अभ्यास तथा गोष्ठियाँ आदि।
(5) बाधित/अपंग छात्रों को अन्य सामान्य छात्रों के साथ क्रीड़ा स्थल पुस्तकालय तथा अन्य सुविधाओं को साथ-साथ उपलब्ध कराने की व्यवस्था करना।
(6) सामान्य तथा शारीरिक रूप से बाधित बालकों को एक-दूसरे के प्रति सहयोग की भावना को प्रेरित करना। (7) जब कभी भी उपयुक्त हो, अपंग छात्रों की शिक्षा जनसमुदाय के वातावरण करने की व्यवस्था करना।
(8) समस्या को मानवीय अन्तरों को स्वीकार करने तथा समझने की शिक्षा देना।
(9) माता-पिता के विचार गम्भीरता से लेना।
10) व्यक्तिगत कार्यक्रम उपलब्ध कराना।
एकीकरण का शाब्दिक अर्थ है कि जो मुख्य धारा में प्रयोग किया जाता है। एकीकरण को शिक्षा अथवा रोजगार के क्षेत्र में संकुचित नहीं किया जा सकता है। इसकी उपलब्धियों को सफलतापूर्वक शारीरिक रूप से अपंग बालकों के क्षेत्र में पहिचानना, ऐसे बालकों के लिये कुछ कार्य करना, शिक्षा संस्था के कार्यक्रम बनाना, ऐसे बालकों के द्वारा किया जा सकने वाला कार्य का विश्लेषण जो उनके भावी समय में तथा पुनर्वास में उपयोगी हो, से सम्मिलित किया जा सकता है।
एकीकरण के प्रति आयाम विशिष्ट बालकों की व्यक्तिगत आवश्यकता के सम्बन्ध में निम्नलिखित में एक या एक से अधिक क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है।
(1) शारीरिक एकीकरण (Physical Integration )- शिक्षा केन्द्र पर विशिष्ट कार्यक्रमों के साथ-साथ सामान्य शिक्षण कार्यक्रमों की योजना बनाई जाये।
(2) सामाजिक एकीकरण (Social Integration)-शारीरिक रूप से बाधित छात्र तथा अन्य सामान्य छात्रों की आपसी बातचीत अथवा सम्प्रेषण की योजना बनाई जाये।
(3) शैक्षिक एकीकरण (Academic Integration)-शारीरिक रूप से बाधित तथा सामान्य छात्रों द्वारा साथ-साथ शिक्षा संस्था के संसाधनों के उपयोग की योजना सुनिश्चित करना।
(4) सामान्य एकीकरण (Normal Integration)-बाधित, अपंग तथा सामान्य छात्रों का अन्य नागरिकों (जो अपंग न हो) के साथ काम करना, रहना तथा समय व्यतीत करना आदि कार्यक्रमों की योजना का प्रारूप बनाना।
उतर- शिक्षा शब्द संस्कृत की शिक्ष)धातु से बना है। शिक्षा का अर्थ है-विद्या प्राप्त करना। शिक्षा का अंग्रेजी रूपान्तरण है-Education) एजुकेशन शब्द लैटिन (Latin) भाषा के तीन शब्दों से मिलकर बना है-Education, Educere, Educase। इन शब्दों का अर्थ विकसित करना, शिक्षित करना, आगे बढ़ना, आगे ले जाना आदि है।
प्रश्न 2- शिक्षा से क्या आशय है?
उत्तर- शिक्षा एक जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। मनुष्य जीवन पर्यन्त कुछ-न-कुछ सीखता रहता है। जीवन के प्रत्येक अनुभव से शिक्षा में वृद्धि होती है।शिक्षा के द्वारा बुद्धि एवं चरित्र का विकास होता है। वास्तव में, शिक्षा के द्वारा ही कोई भी व्यक्ति अपने बल पर खड़ा हो सकता है।
उत्तर- समावेशन वह प्रक्रिया है जो प्रतिभाशाली वह प्रक्रिया प्रत्येक दशा में सामान्य शिक्षा-कक्ष में उनकी शिक्षा के लिये लाती है, समन्वित-पृथक्करण के विपरीत है। पृथ्वी की वह प्रक्रिया है जिसमें समाज का विशिष्ट समूह अलग से पहिचाना जाता है।
प्रश्न 4-समावेशी शिक्षा का अर्थ बताइए।
उत्तर-समावेशी अथवा समन्वित शिक्षा वह शिक्षा है जिसमें सामान्य विद्यालय में अधिगम असमर्थी अथवा अधिगम बाधित व सामान्य बालकों को एक साथ शिक्षा प्रदान ही जाती है।
उत्तर-(1) समावेशी शिक्षा सामान्य विद्यालयों में सामान्य बालकों के साथ प्रदान की जाती है।
(2) इस शिक्षा में असमर्थ बालकों की विशेष आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाता है।
उत्तर-(1) बालकों में आत्म-निर्भरता की भावना को विकसित करना।
(2) असमर्थ बालकों को जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के योग्य बनाना।
प्रश्न 7-समावेशी शिक्षा के मुख्यधारा के घटक बताइए।
उत्तर-समावेशी शिक्षा के मुख्यधारा के घटक निम्नलिखित हैं
(1) शिक्षा में एकीकरण (Integration in Education)
(2) शैक्षिक नियोजन तथा कार्यक्रम (Educational Planning Programming)
(3) उत्तरदायित्वों का स्पष्टीकरण (Clarification of Responsibilities)
प्रश्न- 8 समावेशी शिक्षा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- समावेशी शिक्षा से तात्पर्य विविध क्षमताओं वाले बालकों को एक साथ सामान्य शिक्षा प्रदान कर शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना है। इस प्रकार समावेशी शिक्षा अपंग व विभिन्न आवश्यकताओं वाले बालकों की शिक्षा सामान्य विद्यालय तथा सामान्य बालकों के साथ कुछ अधिक सहायता प्रदान करके शिक्षा प्रदान करने की ओर इंगित करती है। यह शारीरिक तथा मानसिक रूप से बाधित बालकों को सामान्य बालकों के साथ सामान्य कक्षा में कुछ विशेष सेवाएँ देकर ऐसे शिक्षा प्रदान करने की एक विशेष प्रक्रिया है।
समावेशी शिक्षा का अर्थ
Meaning of Inclusive Education
1. समर्थ तथा असमर्थ बच्चों में स्वस्थ दोस्ती का रिश्ता बनाने हेतु प्रोत्साहन देना।
2. इस बात की प्रेरण देना कि असमर्थ बच्चे भी इसी समाज के अंग हैं तथा उनको शिक्षित करना आपका भी उत्तरदायित्व है।
3. प्रत्येक बच्चे को इस प्रकार की शिक्षा देना कि प्रत्येक बच्चा एक-दूसरे से भिन्न होता है तथा सभी की आवश्यकताएँ अलग-अलग होती हैं।
4. जहाँ तक संभव हो असमर्थ बच्चों को सामान्य कक्षा में ही शिक्षा देनी चाहिए।
5. प्रत्येक बच्चे पर व्यक्तिगत ध्यान देना, ताकि वह अपने आपको हीन न समझे।
6. माता-पिता एवं अभिभावकों की समय-समय पर सलाह लेनी चाहिए और उस पर उचित ध्यान देना चाहिए।
7. असमर्थ बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ-साथ विशेष सेवाएँ देनी चाहिए।
8. स्थायी अध्यापकों व प्रशासकों को आवश्यकतानुसार सहयोग देना चाहिए।
9. एक समान समय-सारणी लागू करना।
10. असमर्थ बच्चों को भी विद्यालय की अन्य गतिविधियों; जैसे–म्यूजिक, कला, भ्रमण तथा व्यायाम आदि में सम्मिलित करने का प्रयास करना।
11. असमर्थ बच्चों के लिए भी ऐसे प्रबंध करना कि वह भी लायब्रेरी, खेल के समान तथा खेल के मैदान आदि का सामान रूप से प्रयोग कर सके।
समावेशी शिक्षा की प्रकृति
Nature of Inclusive Education
समावेशी शिक्षा की प्रकृति को निम्न पंक्तियों में स्पष्ट किया गया है
1. जो सुविधा सामान्य बच्चों को मिलती हैं वही सुविधा असमर्थ बच्चों को भी मिलती हैं।
2.समावेशी शिक्षा सामान्य विद्यालयों में सामान्य बच्चों के साथ प्रदान की जाती है।
3. इस शिक्षा के द्वारा असमर्थों को शिक्षा प्राप्त करने का विस्तृत क्षेत्र प्राप्त होता है।
4. समावेशी शिक्षा में दोनों प्रकार के बच्चे सम्मिलित होते हैं अर्थात् असमर्थ और सामान्य बच्चे साथ-साथ पढ़ते हैं।
5. सामान्य एवं असमर्थ बच्चों द्वारा एक-दूसरे को समझने से आपसी सूझ-बूझ का विकास होता है तथा सामान्य बच्चे असमर्थ बच्चों की मदद करते हैं।
6. इस शिक्षा में असमर्थ बच्चों की विशेष आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाता है।
7. शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग बच्चों को कुछ वि…
समावेशी शिक्षा के उद्देश्य
Aims of Inclusive Education
समावेशी शिक्षा के प्रमुख उद्देश्यों को निम्नलिखित पंक्तियों में स्पष्ट किया गया
1. समाज में असमर्थ बच्चों में फैली भ्रांतियों को दूर करना।
2. असमर्थ बच्चों को जीवन की चुनौतियों का सामना करने योग्य बनाना।
3. असमर्थ बच्चों को आत्म-निर्भर बनाकर उनके पुनर्वास का प्रबन्ध करना।
4. बच्चों की असमर्थताओं का पता लगाकर उनको दूर करने का प्रयास करना।
5. बच्चों में आत्मनिर्भरता की भावना का विकास करना।
6. असमर्थों को शिक्षित करके देश की मुख्यधारा से जोड़ना।
7. असमर्थ बच्चों को सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से समाज से जोड़ना।
8. जागरूकता की भावना का विकास करना।
9. प्रजातान्त्रिक मूल्यों के उद्देश्यों को प्राप्त करना।
समावेशी अथवा समन्वित शिक्षा का कार्य-क्षेत्र
(Scope of Inclusive Education)
1. अस्थि बाधित बालक।
2. श्रवण बाधित बालक।
3. दृष्टि बाधित अथवा एक आँख वाले बालक।
4.मानसिक मन्दित बालक जो शिक्षा के योग्य हो।
5. विभिन्न प्रकार से अपंग बालक (श्रवण बाधित, दृष्टि बाधित, अस्थि अपंग आदि) इन्हें बहुबाधित भी कहते हैं।
6. अधिगम असमर्थी बालक।
7. अन्धे छात्र जिन्होंने 'ब्रेल' में पढ़ाने और लिखने का शिक्षण प्राप्त कर लिया है तथा उन्हें विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता है। 8. बधिर बालक जिन्होंने ने सम्प्रेषण में निपुणता तथा पढ़ना सीख लिया है। माता-पिता को समझाना, प्रारम्भिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा + 2 स्तर और व्यावसायिक शिक्षा भी सम्मिलित है।
विशिष्ट शिक्षा तथा समावेशी शिक्षा में अन्तर
विशिष्ट शिक्षा (Special Education)
| समावेशी शिक्षा (Inclusive Education) |
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1.विशिष्ट शिक्षा प्रतिभाशाली व अपंग बालकों के लिए पुराना विचार है। 2. यह व्यवस्था अपंग तथा सामान्य बालकों को अलग-अलग करती है। 3.विशिष्ट शिक्षा कुछ-कुछ चिकित्सा का रूप रखती है। 4.विशिष्ट शिक्षा भेदभाव के सिद्धान्त पर आधारित है। 5.विशिष्ट शिक्षा व्यवस्था गम्भीर रूप से बाधितों के लिए आवश्यक साधन उपलब्ध कराती है। अपंग बालक इससे लाभ उठाते हैं। 6. इस शिक्षा को सम्पूर्ण शिक्षा एकीकरण का भाग नहीं समझा जाता है जो बाधित बालकों को दी जाती है। इसके द्वारा विशिष्ट कक्षाओं को स्थापित करना पड़ता है। 7.विशिष्ट शिक्षा व्यावसायिक प्रशिक्षण व इस कार्यक्षेत्र में मार्गदर्शन करती है। 8.विशिष्ट शिक्षा वास्तव में प्रत्येक प्रकार से प्रत्येक क्षेत्र में विशिष्ट है यह साधारण स्कूल पद्धति से सर्वथा भिन्न है। |
1.समावेशी शिक्षा, विशिष्ट शिक्षा का नया प्रगतिशील स्वरूप है। 2.इस व्यवस्था में शिक्षा व अन्य क्षेत्रों में अपंग तथा सामान्य बालकों के साथ-साथ समान रूप में रखा जाता है। 3. लेकिन समावेशी शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक है। 4.समावेशी शिक्षा समानता के सिद्धान्त पर आधारित है । 5.समावेशी शिक्षा से ऐसे बालक लाभ उठाते हैं जो गम्भीर रूप से अपंग नहीं हैं। इसके माध्यम से बहुर्मुखी उत्थान सम्भव है। 6.इसे सम्पूर्ण शिक्षा का बाधित बालकों के लिए एक भाग समझा जाता है। यह अपंग बालकों को कुछ अधिक सहायता प्रदान करती है। यह अपंग बालकों को सामान्य बालकों से अलग नहीं करती। 7.समावेशी शिक्षा सामान्य शिक्षा के कुछ विशिष्ट विधान उपलब्ध कराती है। 8.समावेशी शिक्षा में शिक्षण कार्य है जिसके अन्तर्गत शारीरिक रूप से बाधित बालक अन्य सामान्य बालकों के साथ शिक्षा ग्रहण करते हैं। |
एकीकरण का अर्थ
(Meaning of Integration)
शब्द एकीकरण का अर्थ है
(1) सामान्य विद्यालय में विशिष्ट सेवायें उपलब्ध कराना।
(2) शिक्षाविदों तथ शिक्षण संस्था के प्रशासकों को सहयोग देना।
(3) अपंग तथा सामान्य बालकों का एक समान दैनिक कार्यक्रम का अनुसरण करना।
(4) बाधित छात्रों का शैक्षणिक कक्षाओं तथा अन्य सम्भव कार्यक्रमों में सम्मलित किया जाना जैसे-संगीत, कला, दूरगाती भ्रमण,अभ्यास तथा गोष्ठियाँ आदि।
(5) बाधित/अपंग छात्रों को अन्य सामान्य छात्रों के साथ क्रीड़ा स्थल पुस्तकालय तथा अन्य सुविधाओं को साथ-साथ उपलब्ध कराने की व्यवस्था करना।
(6) सामान्य तथा शारीरिक रूप से बाधित बालकों को एक-दूसरे के प्रति सहयोग की भावना को प्रेरित करना। (7) जब कभी भी उपयुक्त हो, अपंग छात्रों की शिक्षा जनसमुदाय के वातावरण करने की व्यवस्था करना।
(8) समस्या को मानवीय अन्तरों को स्वीकार करने तथा समझने की शिक्षा देना।
(9) माता-पिता के विचार गम्भीरता से लेना।
10) व्यक्तिगत कार्यक्रम उपलब्ध कराना।
एकीकरण का प्रत्यय
(Concept of Integration)
एकीकरण का शाब्दिक अर्थ है कि जो मुख्य धारा में प्रयोग किया जाता है। एकीकरण को शिक्षा अथवा रोजगार के क्षेत्र में संकुचित नहीं किया जा सकता है। इसकी उपलब्धियों को सफलतापूर्वक शारीरिक रूप से अपंग बालकों के क्षेत्र में पहिचानना, ऐसे बालकों के लिये कुछ कार्य करना, शिक्षा संस्था के कार्यक्रम बनाना, ऐसे बालकों के द्वारा किया जा सकने वाला कार्य का विश्लेषण जो उनके भावी समय में तथा पुनर्वास में उपयोगी हो, से सम्मिलित किया जा सकता है।
एकीकरण के प्रति आयाम विशिष्ट बालकों की व्यक्तिगत आवश्यकता के सम्बन्ध में निम्नलिखित में एक या एक से अधिक क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है।
(1) शारीरिक एकीकरण (Physical Integration )- शिक्षा केन्द्र पर विशिष्ट कार्यक्रमों के साथ-साथ सामान्य शिक्षण कार्यक्रमों की योजना बनाई जाये।
(2) सामाजिक एकीकरण (Social Integration)-शारीरिक रूप से बाधित छात्र तथा अन्य सामान्य छात्रों की आपसी बातचीत अथवा सम्प्रेषण की योजना बनाई जाये।
(3) शैक्षिक एकीकरण (Academic Integration)-शारीरिक रूप से बाधित तथा सामान्य छात्रों द्वारा साथ-साथ शिक्षा संस्था के संसाधनों के उपयोग की योजना सुनिश्चित करना।
(4) सामान्य एकीकरण (Normal Integration)-बाधित, अपंग तथा सामान्य छात्रों का अन्य नागरिकों (जो अपंग न हो) के साथ काम करना, रहना तथा समय व्यतीत करना आदि कार्यक्रमों की योजना का प्रारूप बनाना।
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